2 इतिहास 34:25-31 HHBD

25 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया है और अपनी बनाईं हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़क उठी है, और शान्त न होगी।

26 परन्तु यहूदा का राजा जिसने तुम्हें यहोवा के पूछने को भेज दिया है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है,

27 कि इसलिये कि तू वे बातें सुन कर दीन हुआ, और परमेश्वर के साम्हने अपना सिर नवाया, और उसकी बातें सुन कर जो उसने इस स्थान और इस के निवासियों के विरुद्ध कहीं, तू ने मेरे साम्हने अपना सिर नवाया, और वस्त्र फाड़ कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है; यहोवा की यही वाणी है।

28 सुन, मैं तुझे तेरे पुरखाओं के संग ऐसा मिलाऊंगा कि तू शांति से अपनी कब्र को पहुंचाया जायगा; और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर, और इसके निवासियों पर डालना चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आंखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन लोगों ने लौट कर राजा को यही सन्देश दिया।

29 तब राजा ने यहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को इकट्ठे होने को बुलवा भेजा।

30 और राजा यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और लेवियों वरन छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग ले कर यहोवा के भवन को गया; तब उस न जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी उस में की सारी बातें उन को पढ़ कर सुनाईं।

31 तब राजा ने अपने स्थान पर खड़ा हो कर, यहोवा से इस आशय की वाचा बान्धी कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूंगा, और अपने पूर्ण मन और पूर्ण जीव से उसकी आज्ञाएं, चितौनियों और विधियों का पालन करूंगा, और इन वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी हैं, पूरी करूंगा।