2 इतिहास 6:21-27 HHBD

21 और अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिस को वे इस स्थान की ओर मुंह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवास स्थान है, सुन लेना; और सुन कर क्षमा करना।

22 जब कोई किसी दूसरे का अपराध करे और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के साम्हने शपथ खाए,

23 तब तू स्वर्ग में से सुनना और मानना, और अपने दासों का न्याय कर के दुष्ट को बदला देना, और उसकी चाल उसी के सिर लैटा देना, और निर्दोष को निर्दोष ठहराकर, उसके धर्म के अनुसार उसको फल देना।

24 फिर यदि तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरुद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाएं, और तेरी ओर फिरकर तेरा नाम मानें, और इस भवन में तुझ से प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट करें,

25 तो तू स्वर्ग में से सुनना; और अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना, और उन्हें इस देश में लौटा ले आना जिसे तू ने उन को और उनके पुरखाओं को दिया है।

26 जब वे तेरे विरुद्ध पाप करें, और इस कारण आकाश इतना बन्द हो जाए कि वर्षा न हो, ऐसे समय यदि वे इस स्थान की ओर प्रार्थना कर के तेरे नाम को मानें, और तू जो उन्हें दु:ख देता है, इस कारण वे अपने पाप से फिरें,

27 तो तू स्वर्ग में से सुनना, और अपने दासों और अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उन को वह भला मार्ग दिखाता है जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिये अपने इस देश पर जिसे तू ने अपनी प्रजा का भाग कर के दिया है, पानी बरसा देना।