2 इतिहास 9:1-7 HHBD

1 जब शीबा की रानी ने सुलैमान की कीर्ति सुनी, तब वह कठिन कठिन प्रश्नों से उसकी परीक्षा करने के लिये यरूशलेम को चली। वह बहुत भारी दल और मसालों और बहुत सोने और मणि से लदे ऊंट साथ लिये हुए आई, और सुलैमान के पास पहुंच कर उस से अपने मन की सब बातों के विषय बातें कीं।

2 सुलैमान ने उसके सब प्रश्नों का उत्तर दिया, कोई बात सुलैमान की बुद्धि से ऐसी बाहर न रही कि वह उसे न बता सके।

3 जब शीबा की रानी ने सुलैमान की बुद्धिमानी और उसका बनाया हुआ भवन

4 और उसकी मेज पर का भोजन देखा, और उसके कर्मचारी किस रीति बैठते और उसके ठहलुए किस रीति खड़े रहते और कैसे कैसे कपड़े पहिने रहते हैं, और उसके पिलाने वाले कैसे हैं, और वे कैसे कपड़े पहिने हैं, और वह कैसी चढ़ाई है जिस से वह यहोवा के भवन को जाया करता है, जब उसने यह सब देखा, तब वह चकित हो गई।

5 तब उसने राजा से कहा, मैं ने तेरे कामों और बुद्धिमानी की जो कीर्ति अपने देश में सुनी वह सच ही है।

6 परन्तु जब तक मैं ने आप ही आ कर अपनी आंखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उनकी प्रतीति न की; परन्तु तेरी बुद्धि की आधी बड़ाई भी मुझे न बताई गई थी; तू उस कीर्ति से बढ़ कर है जो मैं ने सुनी थी।

7 धन्य हैं तेरे जन, धन्य हैं तेरे ये सेवक, जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं।