20 वह उसे उठा कर उसकी माता के पास ले गया, फिर वह दोपहर तक उसके घुटनों पर बैठा रहा, तब मर गया।
21 तब उसने चढ़ कर उसको परमेश्वर के भक्त की खाट पर लिटा दिया, और निकल कर किवाड़ बन्द किया, तब उतर गई।
22 और उसने अपने पति से पुकार कर कहा, मेरे पास एक सेवक और एक गदही तुरन्त भेज दे कि मैं परमेश्वर के भक्त के यहां झट पट हो आऊं।
23 उसने कहा, आज तू उसके यहां क्योंजाएगी? आज न तो नये चांद का, और न विश्राम का दिन है; उसने कहा, कल्याण होगा।
24 तब उस स्त्री ने गदही पर काठी बान्ध कर अपने सेवक से कहा, हांके चल; और मेरे कहे बिना हांकने में ढिलाई न करना।
25 तो वह चलते चलते कर्मेल पर्वत को परमेश्वर के भक्त के निकट पहुंची। उसे दूर से देखकर परमेश्वर के भक्त ने अपने सेवक गेहजी से कहा, देख, उधर तो वह शूनेमिन है।
26 अब उस से मिलने को दौड़ जा, और उस से पूछ, कि तू कुशल से है? तेरा पति भी कुशल से है? और लड़का भी कुशल से है? पूछने पर स्त्री ने उत्तर दिया, हां, कुशल से हैं।