2 राजा 7:7-13 HHBD

7 इसलिये वे सांझ को उठ कर ऐसे भाग गए, कि अपने डेरे, घोड़े, गदहे, और छावनी जैसी की तैसी छोड़-छाड़ अपना अपना प्राण ले कर भाग गए।

8 तो जब वे कोढ़ी छावनी की छोर के डेरों के पास पहुंचे, तब एक डेरे में घुस कर खाया पिया, और उस में से चान्दी, सोना और वस्त्र ले जा कर छिपा रखा; फिर लौट कर दूसरे डेरे में घुस गए और उस में से भी ले जा कर छिपा रखा।

9 तब वे आपस में कहने लगे, जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पह फटने तक ठहरे रहें तो हम को दण्ड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जा कर यह बात बतला दें।

10 तब वे चले और नगर के चौकीदारों को बुलाकर बताया, कि हम जो अराम की छावनी में गए, तो क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है, और मनुष्य की कुछ आहट नहीं है, केवल बन्धे हुए घोड़े और गदहे हैं, और डेरे जैसे के तैसे हैं।

11 तब चौकीदारों ने पुकार के राजभवन के भीतर समाचार दिया।

12 और राजा रात ही को उठा, और अपने कर्मचारियों से कहा, मैं तुम्हें बताता हूँ कि अरामियों ने हम से क्या किया है? वे जानते हैं, कि हम लोग भूखे हैं इस कारण वे छावनी में से मैदान में छिपके को यह कहकर गए हैं, कि जब वे नगर से निकलेंगे, तब हम उन को जीवित ही पकड़ कर नगर में घुसने पाएंगे।

13 परन्तु राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, कि जो घोड़े नगर में बच रहे हैं उन में से लोग पांच घोड़े लें, और उन को भेज कर हम हाल जान लें। ( वे तो इस्राएल की सब भीड़ के समान हैं जो नगर में रह गए हैं वरन इस्राएल की जो भीड़ मर मिट गई है वे उसी के समान हैं। )