2 शमूएल 18:13-19 HHBD

13 यदि मैं धोखा देकर उसका प्राण लेता, तो तू आप मेरा विरोधी हो जाता, क्योंकि राजा से कोई बात छिपी नहीं रहती।

14 योआब ने कहा, मैं तेरे संग यों ही ठहरा नहीं रह सकता! सो उसने तीन लकड़ी हाथ में ले कर अबशालोम के हृदय में, जो बांज वृक्ष में जीवति लटका था, छेद डाला।

15 तब योआब के दस हथियार ढोने वाले जवानों ने अबशालोम को घेर के ऐसा मारा कि वह मर गया।

16 फिर योआब ने नरसिंगा फूंका, और लोग इस्त्राएल का पीछा करने से लौटे; क्योंकि योआब प्रजा को बचाना चाहता था।

17 तब लोगों ने अबशालोम को उतार के उस वन के एक बड़े गड़हे में डाल दिया, और उस पर पत्थरों का एक बहुत बड़ा ढेर लगा दिया; और सब इस्राएली अपने अपने डेरे को भाग गए।

18 अपने जीते जी अबशालोम ने यह सोचकर कि मेरे नाम का स्मरण कराने वाला कोई पुत्र मेरे नहीं है, अपने लिये वह लाठ खड़ी कराई थी जो राजा की तराई में है; और लाठ का अपना ही नाम रखा, जो आज के दिन तक अबशालोम की लाठ कहलाती है।

19 और सादोक के पुत्र अहीमास ने कहा, मुझे दौड़कर राजा को यह समाचार देने दे, कि यहोवा ने न्याय करके तुझे तेरे शत्रुओं के हाथ से बचाया है।