35 वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, यहां तक कि मेरी बांहें पीतल के धनुष को झुका देती हैं।
36 और तू ने मुझ को अपने उद्धार की ढाल दी है, और तेरी नम्रता मुझे बढ़ाती है।
37 तू मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा करता है, और मेरे पैर नहीं फिसले।
38 मैं ने अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्हें सत्यानाश कर दिया, और जब तक उनका अन्त न किया तब तक न लौटा।
39 और मैं ने उनका अन्त किया; और उन्हें ऐसा छेद डाला है कि वे उठ नहीं सकते; वरन वे तो मेरे पांवों के नीचे गिरे पड़े हैं।
40 और तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर बलवन्त की; और मेरे विरोधियों को मेरे ही साम्हने परास्त कर दिया।
41 और तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मुझे दिखाई, ताकि मैं अपने बैरियों को काट डालूं।