13 उसके तीर मेरे चारों ओर उड़ रहे हैं, वह निर्दय हो कर मेरे गुर्दों को बेधता है, और मेरा पित्त भूमि पर बहाता है।
14 वह शूर की नाईं मुझ पर धावा कर के मुझे चोट पर चोट पहुंचा कर घायल करता है।
15 मैं ने अपनी खाल पर टाट को सी लिया है, और अपना सींग मिट्टी में मैला कर दिया है।
16 रोते रोते मेरा मुंह सूज गया है, और मेरी आंखों पर घोर अन्धकार छा गया है;
17 तौभी मुझ से कोई उपद्रव नहीं हुआ है, और मेरी प्रार्थना पवित्र है।
18 हे पृथ्वी, तू मेरे लोहू को न ढांपना, और मेरी दोहाई कहीं न रुके।
19 अब भी स्वर्ग में मेरा साक्षी है, और मेरा गवाह ऊपर है।