13 और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन उसे अपने तालू के बीच दबा रखे,
14 तौभी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा।
15 उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; ईश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा।
16 वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा।
17 वह नदियों अर्थात मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा।
18 जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा।
19 क्योंकि उसने कंगालों को पीस कर छोड़ दिया, उसने घर को छीन लिया, उसको वह बढ़ाने न पाएगा।