15 उसके जो लोग बच जाएं वे मरकर क़ब्र को पहुंचेंगे; और उसके यहां की विधवाएं न रोएंगी।
16 चाहे वह रुपया धूलि के समान बटोर रखे और वस्त्र मिट्टी के किनकों के तुल्य अनगिनित तैयार कराए,
17 वह उन्हें तैयार कराए तो सही, परन्तु धमीं उन्हें पहिन लेगा, और उसका रुपया निर्दोष लोग आपस में बांटेंगे।
18 उसने अपना घर कीड़े का सा बनाया, और खेत के रख वाले को झोंपड़ी की नाईं बनाया।
19 वह धनी हो कर लेट जाए परन्तु वह गाड़ा न जाएगा; आंख खोलते ही वह जाता रहेगा।
20 भय की धाराएं उसे बहा ले जाएंगी, रात को बवण्डर उसको उड़ा ले जाएगा।
21 पुरवाई उसे ऐसा उड़ा ले जाएगी, और वह जाता रहेगा और उसको उसके स्थान से उड़ा ले जाएगी।