8 जब ईश्वर भक्तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्त किया हो, तौभी उसकी क्या आशा रहेगी?
9 जब वह संकट में पड़े, तब क्या ईश्वर उसकी दोहाई सुनेगा?
10 क्या वह सर्वशक्तिमान में सुख पा सकेगा, और हर समय ईश्वर को पुकार सकेगा?
11 मैं तुम्हें ईश्वर के काम के विषय शिक्षा दूंगा, और सर्वशक्तिमान की बात मैं न छिपाऊंगा
12 देखो, तुम लोग सब के सब उसे स्वयं देख चुके हो, फिर तुम व्यर्थ विचार क्यों पकड़े रहते हो?
13 दुष्ट मनुष्य का भाग ईश्वर की ओर से यह है, और बलात्कारियों का अंश जो वे सर्वशक्तिमान के हाथ से पाते हैं, वह यह है, कि
14 चाहे उसके लड़के-बाले गिनती में बढ़ भी जाएं, तौभी तलवार ही के लिये बढ़ेंगे, और उसकी सन्तान पेट भर रोटी न खाने पाएगी।