17 न सोना, न कांच उसके बराबर ठहर सकता है, कुन्दन के गहने के बदले भी वह नहीं मिलती।
18 मूंगे उौर स्फटिकमणि की उसके आगे क्या चर्चा! बुद्धि का मोल माणिक से भी अधिक है।
19 कूश देश के पद्मराग उसके तुल्य नहीं ठहर सकते; और न उस से चोखे कुन्दन की बराबरी हो सकती है।
20 फिर बुद्धि कहां मिल सकती है? और समझ का स्थान कहां?
21 वह सब प्राणियों की आंखों से छिपी है, और आकाश के पक्षियों के देखने में नहीं आती।
22 विनाश ओर मृत्यु कहती हैं, कि हमने उसकी चर्चा सुनी है।
23 परन्तु परमेश्वर उसका मार्ग समझता है, और उसका स्थान उसको मालूम है।