7 उसका मार्ग कोई मांसाहारी पक्षी नहीं जानता, और किसी गिद्ध की दृष्टि उस पर नहीं पड़ी।
8 उस पर अभिमानी पशुओं ने पांव नहीं धरा, और न उस से हो कर कोई सिंह कभी गया है।
9 वह चकमक के पत्थर पर हाथ लगाता, और पहाड़ों को जड़ ही से उलट देता है।
10 वह चट्टान खोद कर नालियां बनाता, और उसकी आंखों को हर एक अनमोल वस्तु दिखाई पड़ती है।
11 वह नदियों को ऐसा रोक देता है, कि उन से एक बूंद भी पानी नहीं टपकता और जो कुछ छिपा है उसे वह उजियाले में निकालता है।
12 परन्तु बुद्धि कहां मिल सकती है? और समझ का स्थान कहां है?
13 उसका मोल मनुष्य को मालूम नहीं, जीवनलोक में वह कहीं नहीं मिलती!