अय्यूब 31:34-40 HHBD

34 इस कारण कि मैं बड़ी भीड़ से भय खाता था, वा कुलीनों से तुच्छ किए जाने से डर गया यहां तक कि मैं द्वार से बाहर न निकला---

35 भला होता कि मेरा कोई सुनने वाला होता! (सर्वशक्तिमान अभी मेरा न्याय चुकाए! देखो मेरा दस्तखत यही है)। भला होता कि जो शिकायतनामा मेरे मुद्दई ने लिखा है वह मेरे पास होता!

36 निश्चय मैं उसको अपने कन्धे पर उठाए फिरता; और सुन्दर पगड़ी जान कर अपने सिर में बान्धे रहता।

37 मैं उसको अपने पग पग का हिसाब देता; मैं उसके निकट प्रधान की नाईं निडर जाता।

38 यदि मेरी भूमि मेरे विरुद्ध दोहाई देती हो, और उसकी रेघारियां मिल कर रोती हों;

39 यदि मैं ने अपनी भूमि की उपज बिना मजूरी दिए खाई, वा उसके मालिक का प्राण लिया हो;

40 तो गेहूं के बदले झड़बेड़ी, और जव के बदले जंगली घास उगें! अय्यूब के वचन पूरे हुए हैं।