6 क्या मछुओं के दल उसे बिकाऊ माल समझेंगे? क्या वह उसे व्योपारियों में बांट देंगे?
7 क्या तू उसका चमड़ा भाले से, वा उसका सिर मछुवे के तिरशूलों से भर सकता है?
8 तू उस पर अपना हाथ ही धरे, तो लड़ाई को कभी न भूलेगा, और भविष्य में कभी ऐसा न करेगा।
9 देख, उसे पकड़ने की आशा निष्फल रहती है; उसके देखने ही से मन कच्चा पड़ जाता है।
10 कोई ऐसा साहसी नहीं, जो उसको भड़काए; फिर ऐसा कौन है जो मेरे साम्हने ठहर सके?
11 किस ने मुझे पहिले दिया है, जिसका बदला मुझे देना पड़े! देख, जो कुछ सारी धरती पर है सो मेरा है।
12 मैं उसके अंगों के विषय, और उसके बड़े बल और उसकी बनावट की शोभा के विषय चुप न रहूंगा।