10 जो सभा में उलाहना देता है उस से वे बैर रखते हैं, और खरी बात बोलने वाले से घृणा करते हैं।
11 तुम जो कंगालों को लताड़ा करते, और भेंट कहकर उस से अन्न हर लेते हो, इसलिये जो घर तुम ने गढ़े हुए पत्थरों के बनाए हैं, उन में रहने न पाओगे; और जो मनभावनी दाख की बारियां तुम ने लगाई हैं, उनका दाखमधु न पीने पाओगे।
12 क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारे पाप भारी हैं। तुम धर्मी को सताते और घूस लेते, और फाटक में दरिद्रों का न्याय बिगाड़ते हो।
13 इस कारण जो बुद्धिमान् हो, वह ऐसे समय चुपका रहे, क्योंकि समय बुरा है॥
14 हे लोगो, बुराई को नहीं, भलाई को ढूंढ़ो, ताकि तुम जीवित रहो; और तुम्हारा यह कहना सच ठहरे कि सेनाओं का परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग है।
15 बुराई से बैर और भलाई से प्रीति रखो, और फाटक में न्याय को स्थिर करो; क्या जाने सेनाओं का परमेश्वर यहोवा यूसुफ से बचे हुओं पर अनुग्रह करे॥
16 इस कारण सेनाओं का परमेश्वर, प्रभु यहोवा यों कहता है, सब चौकों में रोना-पीटना होगा; और सब सड़कों में लोग हाय, हाय, करेंगे! वे किसानों को शोक करने के लिये, और जो लोग विलाप करने में निपुण हैं, उन्हें रोने-पीटने को बुलाएंगे।