उत्पत्ति 19:14-20 HHBD

14 तब लूत ने निकल कर अपने दामादों को, जिनके साथ उसकी बेटियों की सगाई हो गई थी, समझा के कहा, उठो, इस स्थान से निकल चलो: क्योंकि यहोवा इस नगर को नाश किया चाहता है। पर वह अपने दामादों की दृष्टि में ठट्ठा करने हारा सा जान पड़ा।

15 जब पौ फटने लगी, तब दूतों ने लूत से फुर्ती कराई और कहा, कि उठ, अपनी पत्नी और दोनो बेटियों को जो यहां हैं ले जा: नहीं तो तू भी इस नगर के अधर्म में भस्म हो जाएगा।

16 पर वह विलम्ब करता रहा, इस से उन पुरूषों ने उसका और उसकी पत्नी, और दोनों बेटियों का हाथ पकड़ लिया; क्योंकि यहोवा की दया उस पर थी: और उसको निकाल कर नगर के बाहर कर दिया।

17 और ऐसा हुआ कि जब उन्होंने उन को बाहर निकाला, तब उसने कहा अपना प्राण ले कर भाग जा; पीछे की और न ताकना, और तराई भर में न ठहरना; उस पहाड़ पर भाग जाना, नहीं तो तू भी भस्म हो जाएगा।

18 लूत ने उन से कहा, हे प्रभु, ऐसा न कर:

19 देख, तेरे दास पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि हुई है, और तू ने इस में बड़ी कृपा दिखाई, कि मेरे प्राण को बचाया है; पर मैं पहाड़ पर भाग नहीं सकता, कहीं ऐसा न हो, कि कोई विपत्ति मुझ पर आ पड़े, और मैं मर जाऊं:

20 देख, वह नगर ऐसा निकट है कि मैं वहां भाग सकता हूं, और वह छोटा भी है: मुझे वहीं भाग जाने दे, क्या वह छोटा नहीं है? और मेरा प्राण बच जाएगा।