1 और याकूब ने भी अपना मार्ग लिया और परमेश्वर के दूत उसे आ मिले।
2 उन को देखते ही याकूब ने कहा, यह तो परमेश्वर का दल है सो उसने उस स्थान का नाम महनैम रखा॥
3 तब याकूब ने सेईर देश में, अर्थात एदोम देश में, अपने भाई ऐसाव के पास अपने आगे दूत भेज दिए।
4 और उसने उन्हें यह आज्ञा दी, कि मेरे प्रभु ऐसाव से यों कहना; कि तेरा दास याकूब तुझ से यों कहता है, कि मैं लाबान के यहां परदेशी हो कर अब तक रहा;
5 और मेरे पास गाय-बैल, गदहे, भेड़-बकरियां, और दास-दासियां है: सो मैं ने अपने प्रभु के पास इसलिये संदेशा भेजा है, कि तेरी अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो।
6 वे दूत याकूब के पास लौट के कहने लगे, हम तेरे भाई ऐसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरूष संग लिये हुए चला आता है।
7 तब याकूब निपट डर गया, और संकट में पड़ा: और यह सोच कर, अपने संग वालों के, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर लिये,