27 आओ, हम उसे इश्माएलियों के हाथ बेच डालें, और अपना हाथ उस पर न उठाएं, क्योंकि वह हमारा भाई और हमारी हड्डी और मांस है, सो उसके भाइयों ने उसकी बात मान ली। तब मिद्यानी व्यापारी उधर से होकर उनके पास पहुंचे:
28 सो यूसुफ के भाइयों ने उसको उस गड़हे में से खींच के बाहर निकाला, और इश्माएलियों के हाथ चांदी के बीस टुकड़ों में बेच दिया: और वे यूसुफ को मिस्र में ले गए।
29 और रूबेन ने गड़हे पर लौटकर क्या देखा, कि यूसुफ गड़हे में नहीं हैं; सो उसने अपने वस्त्र फाड़े।
30 और अपने भाइयों के पास लौटकर कहने लगा, कि लड़का तो नहीं हैं; अब मैं किधर जाऊं?
31 और तब उन्होंने यूसुफ का अंगरखा लिया, और एक बकरे को मार के उसके लोहू में उसे डुबा दिया।
32 और उन्होंने उस रंग बिरंगे अंगरखे को अपने पिता के पास भेज कर कहला दिया; कि यह हम को मिला है, सो देखकर पहिचान ले, कि यह तेरे पुत्र का अंगरखा है कि नहीं।
33 उसने उसको पहिचान लिया, और कहा, हां यह मेरे ही पुत्र का अंगरखा है; किसी दुष्ट पशु ने उसको खा लिया है; नि:सन्देह यूसुफ फाड़ डाला गया है।