उत्पत्ति 43:21-27 HHBD

21 तब हम ने सराय में पहुंचकर अपने बोरों को खोला, तो क्या देखा, कि एक एक जन का पूरा पूरा रूपया उसके बोरे के मुंह में रखा है; इसलिये हम उसको अपने साथ फिर लेते आए हैं।

22 और दूसरा रूपया भी भोजनवस्तु मोल लेने के लिये लाए हैं; हम नहीं जानते कि हमारा रूपया हमारे बोरों में किस ने रख दिया था।

23 उसने कहा, तुम्हारा कुशल हो, मत डरो: तुम्हारा परमेश्वर, जो तुम्हारे पिता का भी परमेश्वर है, उसी ने तुम को तुम्हारे बोरों में धन दिया होगा, तुम्हारा रूपया तो मुझ को मिल गया था: फिर उसने शिमोन को निकाल कर उनके संग कर दिया।

24 तब उस जन ने उन मनुष्यों को यूसुफ के घर में ले जा कर जल दिया, तब उन्होंने अपने पांवों को धोया; फिर उसने उनके गदहों के लिये चारा दिया।

25 तब यह सुनकर, कि आज हम को यहीं भोजन करना होगा, उन्होंने यूसुफ के आने के समय तक, अर्थात दोपहर तक, उस भेंट को इकट्ठा कर रखा।

26 जब यूसुफ घर आया तब वे उस भेंट को, जो उनके हाथ में थी, उसके सम्मुख घर में ले गए, और भूमि पर गिरकर उसको दण्डवत किया।

27 उसने उनका कुशल पूछा, और कहा, क्या तुम्हारा बूढ़ा पिता, जिसकी तुम ने चर्चा की थी, कुशल से है? क्या वह अब तक जीवित है?