उत्पत्ति 43:27-33 HHBD

27 उसने उनका कुशल पूछा, और कहा, क्या तुम्हारा बूढ़ा पिता, जिसकी तुम ने चर्चा की थी, कुशल से है? क्या वह अब तक जीवित है?

28 उन्होंने कहा, हां तेरा दास हमारा पिता कुशल से है और अब तक जीवित है; तब उन्होंने सिर झुका कर फिर दण्डवत किया।

29 तब उसने आंखे उठा कर और अपने सगे भाई बिन्यामीन को देखकर पूछा, क्या तुम्हारा वह छोटा भाई, जिसकी चर्चा तुम ने मुझ से की थी, यही है? फिर उसने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर तुझ पर अनुग्रह करे।

30 तब अपने भाई के स्नेह से मन भर आने के कारण और यह सोचकर, कि मैं कहां जा कर रोऊं, यूसुफ फुर्ती से अपनी कोठरी में गया, और वहां रो पड़ा।

31 फिर अपना मुंह धोकर निकल आया, और अपने को शांत कर कहा, भोजन परोसो।

32 तब उन्होंने उसके लिये तो अलग, और भाइयों के लिये भी अलग, और जो मिस्री उसके संग खाते थे, उनके लिये भी अलग, भोजन परोसा; इसलिये कि मिस्री इब्रियों के साथ भोजन नहीं कर सकते, वरन मिस्री ऐसा करना घृणा समझते थे।

33 सो यूसुफ के भाई उसके साम्हने, बड़े बड़े पहिले, और छोटे छोटे पीछे, अपनी अपनी अवस्था के अनुसार, क्रम से बैठाए गए: यह देख वे विस्मित हो कर एक दूसरे की ओर देखने लगे।