2 और मेरा चांदी का कटोरा छोटे के बोरे के मुंह पर उसके अन्न के रूपये के साथ रख दे। यूसुफ की इस आज्ञा के अनुसार उसने किया।
3 बिहान को भोर होते ही वे मनुष्य अपने गदहों समेत विदा किए गए।
4 वे नगर से निकले ही थे, और दूर न जाने पाए थे, कि यूसुफ ने अपने घर के अधिकारी से कहा, उन मनुष्यों का पीछा कर, और उन को पाकर उन से कह, कि तुम ने भलाई की सन्ती बुराई क्यों की है?
5 क्या यह वह वस्तु नहीं जिस में मेरा स्वामी पीता है, और जिस से वह शकुन भी विचारा करता है? तुम ने यह जो किया है सो बुरा किया।
6 तब उसने उन्हें जा लिया, और ऐसी ही बातें उन से कहीं।
7 उन्होंने उससे कहा, हे हमारे प्रभु, तू ऐसी बातें क्यों कहता है? ऐसा काम करना तेरे दासों से दूर रहे।
8 देख जो रूपया हमारे बोरोंके मुंह पर निकला था, जब हम ने उसको कनान देश से ले आकर तुझे फेर दिया, तब, भला, तेरे स्वामी के घर में से हम कोई चांदी वा सोने की वस्तु क्योंकर चुरा सकते हैं?