उत्पत्ति 50:5-11 HHBD

5 कि मेरे पिता ने यह कहकर, कि देख मैं मरने पर हूं, मुझे यह शपथ खिलाई, कि जो कबर तू ने अपने लिये कनान देश में खुदवाई है उसी में मैं तुझे मिट्टी दूंगा इसलिये अब मुझे वहां जा कर अपने पिता को मिट्टी देने की आज्ञा दे, तत्पश्चात् मैं लौट आऊंगा।

6 तब फिरौन ने कहा, जा कर अपने पिता की खिलाई हुई शपथ के अनुसार उन को मिट्टी दे।

7 सो यूसुफ अपने पिता को मिट्टी देने के लिये चला, और फिरौन के सब कर्मचारी, अर्थात उसके भवन के पुरनिये, और मिस्र देश के सब पुरनिये उसके संग चले।

8 और यूसुफ के घर के सब लोग, और उसके भाई, और उसके पिता के घर के सब लोग भी संग गए; पर वे अपने बालबच्चों, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों को गोशेन देश में छोड़ गए।

9 और उसके संग रथ और सवार गए, सो भीड़ बहुत भारी हो गई।

10 जब वे आताद के खलिहान तक, जो यरदन नदी के पार है पहुंचे, तब वहां अत्यन्त भारी विलाप किया, और यूसुफ ने अपने पिता के सात दिन का विलाप कराया।

11 आताद के खलिहान में के विलाप को देखकर उस देश के निवासी कनानियों ने कहा, यह तो मिस्रियों का कोई भारी विलाप होगा, इसी कारण उस स्थान का नाम आबेलमिस्रैम पड़ा, और वह यरदन के पार है।