उत्पत्ति 6:14-20 HHBD

14 इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उस में कोठरियां बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना।

15 और इस ढंग से उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊंचाई तीस हाथ की हो।

16 जहाज में एक खिड़की बनाना, और इसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक अलंग में एक द्वार रखना, और जहाज में पहिला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।

17 और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जलप्रलय करके सब प्राणियों को, जिन में जीवन की आत्मा है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूं: और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएंगे।

18 परन्तु तेरे संग मैं वाचा बान्धता हूं: इसलिये तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।

19 और सब जीवित प्राणियों में से, तू एक एक जाति के दो दो, अर्थात एक नर और एक मादा जहाज में ले जा कर, अपने साथ जीवित रखना।

20 एक एक जाति के पक्षी, और एक एक जाति के पशु, और एक एक जाति के भूमि पर रेंगने वाले, सब में से दो दो तेरे पास आएंगे, कि तू उन को जीवित रखे।