गिनती 18:27-32 HHBD

27 और तुम्हारी उठाई हुई भेंट तुम्हारे हित के लिये ऐसी गिनी जाएगी जैसा खलिहान में का अन्न, वा रसकुण्ड में का दाखरस गिना जाता है।

28 इस रीति तुम भी अपने सब दशमांशों में से, जो इस्त्राएलियों की ओर से पाओगे, यहोवा को एक उठाई हुई भेंट देना; और यहोवा की यह उठाई हुई भेंट हारून याजक को दिया करना।

29 जितने दान तुम पाओ उन में से हर एक का उत्तम से उत्तम भाग, जो पवित्र ठहरा है, सो उसे यहोवा के लिये उठाई हुई भेंट करके पूरी पूरी देना।

30 इसलिये तू लेवियों से कह, कि जब तुम उस में का उत्तम से उत्तम भाग उठा कर दो, तब यह तुम्हारे लिये खलिहान में के अन्न, और रसकुण्ड के रस के तुल्य गिना जाएगा;

31 और उसको तुम अपने घरानों समेत सब स्थानों में खा सकते हो, क्योंकि मिलापवाले तम्बू की जो सेवा तुम करोगे उसका बदला यही ठहरा है।

32 और जब तुम उसका उत्तम से उत्तम भाग उठा कर दो तब उसके कारण तुम को पाप न लगेगा। परन्तु इस्त्राएलियों की पवित्र की हुई वस्तुओं को अपवित्र न करना, ऐसा न हो कि तुम मर जाओ॥