गिनती 35:21-27 HHBD

21 वा शत्रुता से उसको अपने हाथ से ऐसा मारे कि वह मर जाए, तो जिसने मारा हो वह अवश्य मार डाला जाए; वह खूनी ठहरेगा; लोहू का पलटा लेने वाला जब भी वह खूनी उसे मिल जाए तब ही उसको मार डाले।

22 परन्तु यदि कोई किसी को बिना सोचे, और बिना शत्रुता रखे ढकेल दे, वा बिना घात लगाए उस पर कुछ फेंक दे,

23 वा ऐसा कोई पत्थर ले कर, जिस से कोई मर सकता है, दूसरे को बिना देखे उस पर फेंक दे, और वह मर जाए, परन्तु वह न उसका शत्रु हो, और न उसकी हानि का खोजी रहा हो;

24 तो मण्डली मारने वाले और लोहू का पलटा लेने वाले के बीच इन नियमों के अनुसार न्याय करे;

25 और मण्डली उस खूनी को लोहू के पलटा लेने वाले के हाथ से बचाकर उस शरणनगर में जहां वह पहिले भाग गया हो लौटा दे, और जब तक पवित्र तेल से अभिषेक किया हुआ महायाजक न मर जाए तब तक वह वहीं रहे।

26 परन्तु यदि वह खूनी उस शरणस्थान के सिवाने से जिस में वह भाग गया हो बाहर निकलकर और कहीं जाए,

27 और लोहू का पलटा लेने वाला उसको शरणस्थान के सिवाने के बाहर कहीं पाकर मार डाले, तो वह लोहू बहाने का दोषी न ठहरे।