10 फिर जो पुरूष मेंहदियों के बीच खड़ा था, उसने कहा, यह वे हैं जिन को यहोवा ने पृथ्वी पर सैर अर्थात घूमने के लिये भेजा है।
11 तब उन्होंने यहोवा के उस दूत से जो मेंहदियों के बीच खड़ा था, कहा, हम ने पृथ्वी पर सैर किया है, और क्या देखा कि सारी पृथ्वी में शान्ति और चैन है।
12 तब यहोवा के दूत ने कहा, हे सेनाओं के यहोवा, तू जो यरूशलेम और यहूदा के नगरों पर सत्तर वर्ष से क्रोधित है, सो तू उन पर कब तक दया न करेगा?
13 और यहोवा ने उत्तर में उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, अच्छी अच्छी और शान्ति की बातें कहीं।
14 तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने मुझ से कहा, तू पुकार कर कह कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, मुझे यरूशलेम और सिय्योन के लिये बड़ी जलन हुई है।
15 और जो जातियां सुख से रहती हैं, उन से मैं क्रोधित हूं; क्योंकि मैं ने तो थोड़ा से क्रोध किया था, परन्तु उन्होंने विपत्ति को बढ़ा दिया।
16 इस कारण यहोवा यों कहता है, अब मैं दया कर के यरूशलेम को लौट आया हूं; मेरा भवन उस में बनेगा, और यरूशलेम पर नापने की डोरी डाली जाएगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।