दानिय्येल 2:5-11 HHBD

5 राजा ने कसदियों को उत्तर दिया, मैं यह आज्ञा दे चुका हूं कि यदि तुम फल समेत स्वप्न को न बताओगे तो तुम टुकड़े टुकड़े किए जाओगे, और तुम्हारे घर फुंकवा दिए जाएंगे।

6 और यदि तुम फल समेत स्वप्न को बता दो तो मुझ से भांति भांति के दान और भारी प्रतिष्ठा पाओगे।

7 इसलिये तुम मुझे फल समेत स्वप्न बाताओ। उन्होंने दूसरी बार कहा, हे राजा स्वप्न तेरे दासों को बताया जाए, और हम उसका फल समझा देंगे।

8 राजा ने उत्तर दिया, मैं निश्चय जानता हूं कि तुम यह देख कर, कि राजा के मुंह से आज्ञा निकल चुकी है, समय बढ़ाना चाहते हो।

9 इसलिये यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के साम्हने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिये तुम मुझे स्वप्न को बताओ, तब मैं जानूंगा कि तुम उसका फल भी समझा सकते हो।

10 कसदियों ने राजा से कहा, पृथ्वी भर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो राजा के मन की बात बता सके; और न कोई ऐसा राजा, वा प्रधान, वा हाकिम कभी हुआ है जिसने किसी ज्योतिषी वा तन्त्री, वा कसदी से ऐसी बात पूछी हो।

11 जो बात राजा पूछता है, वह अनोखी है, और देवताओं को छोड़ कर जिनका निवास मनुष्यों के संग नहीं है, और कोई दूसरा नहीं, जो राजा को यह बता सके॥