दानिय्येल 5:19-25 HHBD

19 और उस बड़ाई के कारण जो उसने उसको दी थी, देश-देश और जाति जाति के सब लोग, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वाले उसके साम्हने कांपते और थरथराते थे, जिसे वह चाहता उसे वह घात करता था, और जिस को वह चाहता उसे वह जीवित रखता था जिसे वह चाहता उसे वह ऊंचा पद देता था, और जिस को वह चाहता उसे वह गिरा देता था।

20 परन्तु जब उसका मन फूल उठा, और उसकी आत्मा कठोर हो गई, यहां तक कि वह अभिमान करने लगा, तब वह अपने राजसिंहासन पर से उतारा गया, और उसकी प्रतिष्ठा भंग की गई;

21 वह मनुष्यों में से निकाला गया, और उसका मन पशुओं का सा, और उसका निवास जंगली गदहों के बीच हो गया; वह बैलों की नाईं घास चरता, और उसका शरीर आकाश की ओस से भीगा करता था, जब तक कि उसने जान न लिया कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहता उसी को उस पर अधिकारी ठहराता है।

22 तौभी, हे बेलशस्सर, तू जो उसका पुत्र है, और यह सब कुछ जानता था, तौभी तेरा मन नम्र न हुआ।

23 वरन तू ने स्वर्ग के प्रभु के विरुद्ध सिर उठा कर उसके भवन के पात्र मंगवा कर अपने साम्हने धरवा लिए, और अपने प्रधानों और रानियों और रखेलियों समेत तू ने उन में दाखमधु पिया; और चान्दी-सोने, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवता, जो न देखते न सुनते, न कुछ जानते हैं, उनकी तो स्तुति की, परन्तु परमेश्वर, जिसके हाथ में तेरा प्राण है, और जिसके वश में तेरा सब चलना फिरना है, उसका सन्मान तू ने नहीं किया॥

24 तब ही यह हाथ का एक भाग उसी की ओर से प्रगट किया गया है और वे शब्द लिखे गए हैं।

25 और जो शब्द लिखे गए वे ये हैं, मने, मने, तकेल, और ऊपर्सीन।