6 वह उस दो सींग वाले मेढ़े के पास जा कर, जिस को मैं ने नदी के साम्हने खड़ा देखा था, उस पर जलकर अपने पूरे बल से लपका।
7 मैं ने देखा कि वह मेढ़े के निकट आकर उस पर झुंझलाया; और मेढ़े को मार कर उसके दोनों सींगों को तोड़ दिया; और उसका साम्हना करने को मेढ़े का कुछ भी वश न चला; तब बकरे ने उसको भूमि पर गिरा कर रौंद डाला; और मेढ़े को उसके हाथ से छुड़ाने वाला कोई न मिला।
8 तब बकरा अत्यन्त बड़ाई मारने लगा, और जब बलवन्त हुआ, तक उसका बड़ा सींग टूट गया, और उसकी सन्ती देखने योग्य चार सींग निकलकर चारों दिशाओं की ओर बढ़ने लगे॥
9 फिर इन में से एक छोटा सा सींग और निकला, जो दक्खिन, पूरब और शिरोमणि देश की ओर बहुत ही बढ़ गया।
10 वह स्वर्ग की सेना तक बढ़ गया; और उस में से और तारों में से भी कितनों को भूमि पर गिरा कर रौंद डाला।
11 वरन वह उस सेना के प्रधान तक भी बढ़ गया, और उसका नित्य होमबलि बन्द कर दिया गया; और उसका पवित्र वास स्थान गिरा दिया गया।
12 और लोगों के अपराध के कारण नित्य होमबलि के साथ सेना भी उसके हाथ में कर दी गई, और उस सींग ने सच्चाई को मिट्टी में मिला दिया, और वह काम करते करते सफल हो गया।