1 हाय उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है।
2 कोड़ों की फटकार और पहियों की घड़घड़ाहट हो रही है; घोड़े कूदते-फांदते और रथ उछलते चलते हैं।
3 सवार चढ़ाई करते, तलवारें और भाले बिजली की नाईं चमकते हैं, मारे हुओं की बहुतायत और लोथों का बड़ा ढेर है; मुर्दों की कुछ गिनती नहीं, लोग मुर्दों से ठोकर खा खाकर चलते हैं!
4 यह सब उस अति सुन्दर वेश्या, और निपुण टोनहिन के छिनाले की बहुतायत के कारण हुआ, जो छिनाले के द्वारा जाति-जाति के लोगों को, और टोने के द्वारा कुल-कुल के लोगों को बेच डालती है॥