27 तौभी लोगों में से कोई कोई सातवें दिन भी बटोरने के लिये बाहर गए, परन्तु उन को कुछ न मिला।
28 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तुम लोग मेरी आज्ञाओं और व्यवस्था को कब तक नहीं मानोगे?
29 देखो, यहोवा ने जो तुम को विश्राम का दिन दिया है, इसी कारण वह छठवें दिन को दो दिन का भोजन तुम्हें देता है; इसलिये तुम अपने अपने यहां बैठे रहना, सातवें दिन कोई अपने स्थान से बाहर न जाना।
30 लोगों ने सातवें दिन विश्राम किया।
31 और इस्राएल के घराने वालों ने उस वस्तु का नाम मन्ना रखा; और वह धनिया के समान श्वेत था, और उसका स्वाद मधु के बने हुए पुए का सा था।
32 फिर मूसा ने कहा, यहोवा ने जो आज्ञा दी वह यह है, कि इस में से ओमेर भर अपने वंश की पीढ़ी पीढ़ी के लिये रख छोड़ो, जिससे वे जानें कि यहोवा हम को मिस्र देश से निकाल कर जंगल में कैसी रोटी खिलाता था।
33 तब मूसा ने हारून से कहा, एक पात्र ले कर उस में ओमेर भर ले कर उसे यहोवा के आगे धर दे, कि वह तुम्हारी पीढिय़ों के लिये रखा रहे।