5 यदि कोई अपने पशु से किसी का खेत वा दाख की बारी चराए, अर्थात अपने पशु को ऐसा छोड़ दे कि वह पराए खेत को चर ले, तो वह अपने खेत की और अपनी दाख की बारी की उत्तम से उत्तम उपज में से उस हानि को भर दे॥
6 यदि कोई आग जलाए, और वह कांटों में लग जाए और फूलों के ढेर वा अनाज वा खड़ा खेत जल जाए, तो जिसने आग जलाई हो वह हानि को निश्चय भर दे॥
7 यदि कोई दूसरे को रूपए वा सामग्री की धरोहर धरे, और वह उसके घर से चुराई जाए, तो यदि चोर पकड़ा जाए, तो दूना उसी को भर देना पकेगा।
8 और यदि चोर न पकड़ा जाए, तो घर का स्वामी परमेश्वर के पास लाया जाए, कि निश्चय हो जाय कि उसने अपने भाई बन्धु की सम्पत्ति पर हाथ लगाया है वा नहीं।
9 चाहे बैल, चाहे गदहे, चाहे भेड़ वा बकरी, चाहे वस्त्र, चाहे किसी प्रकार की ऐसी खोई हुई वस्तु के विषय अपराध क्यों न लगाया जाय, जिसे दो जन अपनी अपनी कहते हों, तो दोनों का मुकद्दमा परमेश्वर के पास आए; और जिस को परमेश्वर दोषी ठहराए वह दूसरे को दूना भर दे॥
10 यदि कोई दूसरे को गदहा वा बैल वा भेड़-बकरी वा कोई और पशु रखने के लिये सौपें, और किसी के बिना देखे वह मर जाए, वा चोट खाए, वा हांक दिया जाए,
11 तो उन दोनो के बीच यहोवा की शपथ खिलाई जाए कि मैं ने इसकी सम्पत्ति पर हाथ नहीं लगाया; तब सम्पत्ति का स्वामी इस को सच माने, और दूसरे को उसे कुछ भी भर देना न होगा।