8 और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उन को दी थी उसको झटपट छोड़कर उन्होंने एक बछड़ा ढालकर बना लिया, फिर उसको दण्डवत किया, और उसके लिये बलिदान भी चढ़ाया, और यह कहा है, कि हे इस्त्राएलियों तुम्हारा परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा ले आया है वह यही है।
9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, मैं ने इन लोगों को देखा, और सुन, वे हठीले हैं।
10 अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है जिस से मैं उन्हें भस्म करूं; परन्तु तुझ से एक बड़ी जाति उपजाऊंगा।
11 तब मूसा अपने परमेश्वर यहोवा को यह कहके मनाने लगा, कि हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है, जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है?
12 मिस्री लोग यह क्यों कहने पाए, कि वह उन को बुरे अभिप्राय से, अर्थात पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया? तू अपने भड़के हुए कोप को शांत कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुचाने से फिर जा।
13 अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर, जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाकर यह कहा था, कि मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूंगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूंगा, कि वह उसके अधिकारी सदैव बने रहें।
14 तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उस ने कहा था पछताया॥