21 जो भाग पहिले उतावली से मिलता है, अन्त में उस पर आशीष नहीं होती।
22 मत कह, कि मैं बुराई का पलटा लूंगा; वरन यहोवा की बाट जोहता रह, वह तुझ को छुड़ाएगा।
23 घटती बढ़ती बटखरों से यहोवा घृणा करता है, और छल का तराजू अच्छा नहीं।
24 मनुष्य का मार्ग यहोवा की ओर से ठहराया जाता है; आदमी क्योंकर अपना चलना समझ सके?
25 जो मनुष्य बिना विचारे किसी वस्तु को पवित्र ठहराए, और जो मन्नत मान कर पूछ पाछ करने लगे, वह फन्दे में फंसेगा।
26 बुद्धिमान राजा दुष्टों को फटकता है, ओर उन पर दावने का पहिया चलवाता है।
27 मनुष्य की आत्मा यहोवा का दीपक है; वह मन की सब बातों की खोज करता है।