16 और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
17 तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
18 क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
19 हे मेरे पुत्र, तू सुन कर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
20 दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना;
21 क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पीनक वाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।
22 अपने जन्माने वाले की सुनना, और जब तेरी माता बुढिय़ा हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना।