नीतिवचन 28:13-19 HHBD

13 जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।

14 जो मनुष्य निरन्तर प्रभु का भय मानता रहता है वह धन्य है; परन्तु जो अपना मन कठोर कर लेता है वह विपत्ति में पड़ता है।

15 कंगाल प्रजा पर प्रभुता करने वाला दुष्ट गरजने वाले सिंह और घूमने वाले रीछ के समान है।

16 जो प्रधान मन्दबुद्धि का होता है, वही बहुत अन्धेर करता है; और जो लालच का बैरी होता है वह दीर्घायु होता है।

17 जो किसी प्राणी की हत्या का अपराधी हो, वह भाग कर गड़हे में गिरेगा; कोई उस को न रोकेगा।

18 जो सीधाई से चलता है वह बचाया जाता है, परन्तु जो टेढ़ी चाल चलता है वह अचानक गिर पड़ता है।

19 जो अपनी भूमि को जोता-बोया करता है, उसका तो पेट भरता है, परन्तु जो निकम्मे लोगों की संगति करता है वह कंगालपन से घिरा रहता है।