नीतिवचन 28:7-13 HHBD

7 जो व्यवस्था का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है, परन्तु उड़ाऊ का संगी अपने पिता का मुंह काला करता है।

8 जो अपना धन ब्याज आदि बढ़ती से बढ़ाता है, वह उसके लिये बटोरता है जो कंगालों पर अनुग्रह करता है।

9 जो अपना कान व्यवस्था सुनने से फेर लेता है, उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है।

10 जो सीधे लोगों को भटका कर कुमार्ग में ले जाता है वह अपने खोदे हुए गड़हे में आप ही गिरता है; परन्तु खरे लोग कल्याण के भागी होते हैं।

11 धनी पुरूष अपनी दृष्टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म बूझ लेता है।

12 जब धर्मी लोग जयवन्त होते हैं, तब बड़ी शोभा होती है; परन्तु जब दुष्ट लोग प्रबल होते हैं, तब मनुष्य अपने आप को छिपाता है।

13 जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।