19 हमारे पास तो गदहों के लिये पुआल और चारा भी है, और मेरे और तेरी इस दासी और इस जवान के लिये भी जो तेरे दासों के संग है रोटी और दाखमधु भी है; हमें किसी वस्तु की घटी नहीं है।
20 बूढ़े ने कहा, तेरा कल्याण हो; तेरे प्रयोजन की सब वस्तुएं मेरे सिर हों; परन्तु रात को चौक में न बिता।
21 तब वह उसको अपने घर ले चला, और गदहों को चारा दिया; तब वे पांव धोकर खाने पीने लगे।
22 वे आनन्द कर रहे थे, कि नगर के लुच्चों ने घर को घेर लिया, और द्वार को खटखटा-खटखटाकर घर के उस बूढ़े स्वामी से कहने लगे, जो पुरूष तेरे घर में आया, उसे बाहर ले आ, कि हम उस से भोग करें।
23 घर का स्वामी उनके पास बाहर जा कर उन से कहने लगा, नहीं, नहीं, हे मेरे भाइयों, ऐसी बुराई न करो; यह पुरूष जो मेरे घर पर आया है, इस से ऐसी मूढ़ता का काम मत करो।
24 देखा, यहां मेरी कुंवारी बेटी है, और इस पुरूष की सुरैतिन भी है; उन को मैं बाहर ले आऊंगा। और उनका पत-पानी लो तो लो, और उन से तो जो चाहो सो करो; परन्तु इस पुरूष से ऐसी मूढ़ता का काम मत करो।
25 परन्तु उन मनुष्यों ने उसकी न मानी। तब उस पुरूष ने अपनी सुरैतिन को पकड़कर उनके पास बाहर कर दिया; और उन्होंने उस से कुकर्म किया, और रात भर क्या भोर तक उस से लीला क्रीड़ा करते रहे। और पह फटते ही उसे छोड़ दिया।