न्यायियों 3:25-31 HHBD

25 वे बाट जोहते जोहते लज्जित हो गए; तब यह देखकर कि वह अटारी के किवाड़ नहीं खोलता, उन्होंने कुंजी ले कर किवाड़ खोले तो क्या देखा, कि उनका स्वामी भूमि पर मरा पड़ा है।

26 जब तक वे सोच विचार कर ही रहे थे तब तक एहूद भाग निकला, और खूदी हुई मूरतों की परली ओर हो कर सेइरे में जा कर शरण ली।

27 वहां पहुंचकर उसने एप्रैम के पहाड़ी देश में नरसिंगा फूंका; तब इस्राएली उसके संग हो कर पहाड़ी देश से उसके पीछे पीछे नीचे गए।

28 और उसने उन से कहा, मेरे पीछे पीछे चले आओ; क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे मोआबी शत्रुओं को तुम्हारे हाथ में कर दिया है। तब उन्होंने उसके पीछे पीछे जाके यरदन के घाटों को जो मोआब देश की ओर है ले लिया, और किसी को उतरने न दिया।

29 उस समय उन्होंने कोई दस हजार मोआबियों को मार डाला; वे सब के सब हृष्ट पुष्ट और शूरवीर थे, परन्तु उन में से एक भी न बचा।

30 इस प्रकार उस समय मोआब इस्राएल के हाथ के तले दब गया। तब अस्सी वर्ष तक देश में शान्ति बनी रही॥

31 उसके बाद अनात का पुत्र शमगर हुआ, उसने छ: सौ पलिश्ती पुरूषों को बैल के पैने से मार डाला; इस कारण वह भी इस्राएल का छुड़ाने वाला हुआ॥