26 तब एबेद का पुत्र गाल अपने भाइयों समेत शकेम में आया; और शकेम के मनुष्यों ने उसका भरोसा किया।
27 और उन्होंने मैदान में जा कर अपनी अपनी दाख की बारियों के फल तोड़े और उनका रस रौन्दा, और स्तुति का बलिदान कर अपने देवता के मन्दिर में जा कर खाने पीने और अबीमेलेक को कोसने लगे।
28 तब एबेद के पुत्र गाल ने कहा, अबीमेलेक कौन है? शकेम कौन है कि हम उसके आधीन रहें? क्या वह यरूब्बाल का पुत्र नहीं? क्या जबूल उसका नाइब नहीं? शकेम के पिता हमोर के लोगों के तो आधीन हो, परन्तु हमे उसके आधीन क्यों रहें?
29 और यह प्रजा मेरे वश में होती हो क्या ही भला होता! तब तो मैं अबीमेलेक को दूर करता। फिर उसने अबीमेलेक से कहा, अपनी सेना की गिनती बढ़ाकर निकल आ।
30 एबेद के पुत्र गाल की वे बातें सुनकर नगर के हाकिम जबूल का क्रोध भड़क उठा।
31 और उसने अबीमेलेक के पास छिपके दूतों से कहला भेजा, कि एबेद का पुत्र गाल और उसके भाई शकेम में आके नगर वालों को तेरा विरोध करने को उसका रहे हैं।
32 इसलिये तू अपने संग वालों समेत रात को उठ कर मैदान में घात लगा।