7 मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूं और गौरे के समान हो गया हूं जो छत के ऊपर अकेला बैठता है।
पूरा अध्याय पढ़ें भजन संहिता 102
देखें संदर्भ में भजन संहिता 102:7