भजन संहिता 109:15-21 HHBD

15 वह निरन्तर यहोवा के सम्मुख रहे, कि वह उनका नाम पृथ्वी पर से मिटा डाले!

16 क्योंकि वह दुष्ट, कृपा करना भूल गया वरन दीन और दरिद्र को सताता था और मार डालने की इच्छा से खेदित मन वालों के पीछे पड़ा रहता था॥

17 वह शाप देने में प्रीति रखता था, और शाप उस पर आ पड़ा; वह आशीर्वाद देने से प्रसन्न न होता था, सो आर्शीवाद उससे दूर रहा।

18 वह शाप देना वस्त्र की नाईं पहिनता था, और वह उसके पेट में जल की नाईं और उसकी हडि्डयों में तेल की नाईं समा गया।

19 वह उसके लिये ओढ़ने का काम दे, और फेंटे की नाईं उसकी कटि में नित्य कसा रहे॥

20 यहोवा की ओर से मेरे विरोधियों को, और मेरे विरुद्ध बुरा कहने वालों को यही बदला मिले!

21 परन्तु मुझ से हे यहोवा प्रभु, तू अपने नाम के निमित्त बर्ताव कर; तेरी करूणा तो बड़ी है, सो तू मुझे छुटकारा दे!