8 तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आंख को आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है।
9 मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के साम्हने जान कर नित चलता रहूंगा।
10 मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कस कर कहा है, कि मैं तो बहुत ही दु:खित हुआ;
11 मैं ने उतावली से कहा, कि सब मनुष्य झूठे हैं॥
12 यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूं?
13 मैं उद्धार का कटोरा उठा कर, यहोवा से प्रार्थना करूंगा,
14 मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें सभों की दृष्टि में प्रगट रूप में उसकी सारी प्रजा के साम्हने पूरी करूंगा।