भजन संहिता 144:11-15 HHBD

11 तू मुझ को उबार और परदेशियों के वश से छुड़ा ले, जिन के मुंह से व्यर्थ बातें निकलती हैं, और जिनका दाहिना हाथ झूठ का दाहिना हाथ है॥

12 जब हमारे बेटे जवानी के समय पौधों की नाईं बढ़े हुए हों, और हमारी बेटियां उन कोने वाले पत्थरों के समान हों, जो मन्दिर के पत्थरों की नाईं बनाए जाएं;

13 जब हमारे खत्ते भरे रहें, और उन में भांति भांति का अन्न धरा जाए, और हमारी भेड़- बकरियां हमारे मैदानों में हजारों हजार बच्चे जनें;

14 जब हमारे बैल खूब लदे हुए हों; जब हमें न विघ्न हो और न हमारा कहीं जाना हो, और न हमारे चौकों में रोना- पीटना हो,

15 तो इस दशा में जो राज्य हो वह क्या ही धन्य होगा! जिस राज्य का परमेश्वर यहोवा है, वह क्या ही धन्य है!