भजन संहिता 22:24-30 HHBD

24 क्योंकि उसने दु:खी को तुच्छ नहीं जाना और न उससे घृणा करता है, ओर न उससे अपना मुख छिपाता है; पर जब उसने उसकी दोहाई दी, तब उसकी सुन ली॥

25 बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही ओर से होता है; मैं अपने प्रण को उससे भय रखने वालों के साम्हने पूरा करूंगा

26 नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें!

27 पृथ्वी के सब दूर दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति जाति के सब कुल तेरे साम्हने दण्डवत करेंगे।

28 क्योंकि राज्य यहोवा की का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है॥

29 पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत करेंगे; वह सब जितने मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के साम्हने घुटने टेकेंगे।

30 एक वंश उसकी सेवा करेगा; दूसरा पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।