11 यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।
12 क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!
13 यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;
14 अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है,
15 वही जो उन सभों के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।
16 कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।
17 बच निकलने के लिये घोड़ा व्यर्थ है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है॥