2 इस प्रकार से मैं ने पवित्रास्थान में तुझ पर दृष्टि की, कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूं।
3 क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा।
4 इसी प्रकार मैं जीवन भर तुझे धन्य कहता रहूंगा; और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाऊंगा॥
5 मेरा जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त होगा, और मैं जयजयकार करके तेरी स्तुति करूंगा।
6 जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूंगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूंगा;
7 क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, इसलिये मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूंगा।
8 मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है॥