भजन संहिता 68:16-22 HHBD

16 परन्तु हे शिखर वाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो, जिसे परमेश्वर ने अपने वास के लिये चाहा है, और जहां यहोवा सदा वास किए रहेगा?

17 परमेश्वर के रथ बीस हजार, वरन हजारों हजार हैं; प्रभु उनके बीच में है, जैसे वह सीनै पवित्र स्थान में है।

18 तू ऊंचे पर चढ़ा, तू लोगों को बन्धुवाई में ले गया; तू ने मनुष्यों से, वरन हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं, जिस से याह परमेश्वर उन में वास करे॥

19 धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है।

20 वही हमारे लिये बचाने वाला ईश्वर ठहरा; यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है॥

21 निश्चय परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर पर, और जो अधर्म के र्माग पर चलता रहता है, उसके बाल भरी खोपड़ी पर मार मार के उसे चूर करेगा।

22 प्रभु ने कहा है, कि मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊंगा, मैं उन को गहिरे सागर के तल से भी फेर ले आऊंगा,