28 तेरे परमेश्वर ने आज्ञा दी, कि तुझे सामर्थ्य मिले; हे परमेश्वर जो कुछ तू ने हमारे लिये किया है, उसे दृढ़ कर।
29 तेरे मन्दिर के कारण जो यरूशलेम में हैं, राजा तेरे लिये भेंट ले आएंगे।
30 नरकटों में रहने वाले बनैले पशुओं को, सांड़ों के झुण्ड को और देश देश के बछड़ों को झिड़क दे। वे चान्दी के टुकड़े लिये हुए प्रणाम करेंगे; जो लोगे युद्ध से प्रसन्न रहते हैं, उन को उसने तितर बितर किया है।
31 मिस्त्र से रईस आएंगे; कूशी अपने हाथों को परमेश्वर की ओर फुर्ती से फैलाएंगे॥
32 हे पृथ्वी पर के राज्य राज्य के लोगों परमेश्वर का गीत गाओ; प्रभु का भजन गाओ,
33 जो सब से ऊंचे सनातन स्वर्ग में सवार होकर चलता है; देखो वह अपनी वाणी सुनाता है, वह गम्भीर वाणी शक्तिशाली है।
34 परमेश्वर की सामर्थ्य की स्तुति करो, उसका प्रताप इस्राएल पर छाया हुआ है, और उसकी सामर्थ्य आकाशमण्डल में है।